इन्द्रियाँ हैं पांच,चलना होगा,इनके
वश में होकर नहीं,इनको वश में करके
सन्मार्ग पे चलना होगा,
हर क्षण उस प्रभु को याद करके,
प्रलोभन अनेक,बन सकते है राह में कांटे,
भटकन दूर होगी मन की,यदि हम केवल
अपना प्रेम,और दूसरों के दुःख-दर्द बाँटें|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
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