जीना आया किसे यहाँ,
कोई बिन वजह रोता रहा,
तो कोई,दूसरों को
बिन वजह रुलाता रहा,
कोई प्यार के लिए तरसता रहा,
तो कोई,प्यार अपना लुटाता रहा,
कोई हँसता रहा खुद पर,
तो कोई दूसरों की हंसी उड़ाता रहा,
जो समझ कर जिया,खुद को,और दूसरों को,
वो आगे बढते हुए,दूसरों के लिए राहें बनाता रहा|
1 comment:
शायद यही सच है
सुन्दर रचना
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