कैसे अजीब होतें हैं,ये रिश्ते
कभी बेवजह हँसते हैं,
तो कभी रोतें हैं बेवजह,
कभी इनसे आने लगती है,ठंडी हवा
तो कभी,देने लगतें हैं,असहनीय गर्म हवा,
बदलने लगतें हैं,पल भर में ही,
नए मुखौटे पहनकर,करने लगतें हैं,
अच्छे- भले जीवन को बेमजा|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
2 comments:
सही कहा!!
bilkul sahi baat per aisa isliye hota hai kyun ki hum apni khusiyon se koi samjhouta nahi kar sakte isliye rishte hume aisa jakm dete hai.
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