मौसम ने ली अंगडाई,याद तुम्हारी आने लगी,
तनहा दिल की उदास गलियों में,
फिर से शहनाइयाँ बजने लगीं,
न जाने क्यों ऐसे लगा,जैसे बादलों के ऊपर कहीं,
बज रही है,बांसुरी की मीठी तान कहीं,
काश तुम आ जाओ,अचानक कहीं से,
ऐसा न हो,जिंदगी का दामन छूट जाए,
तुम्हारा इंतज़ार करते-करते कहीं|
1 comment:
very nicely written...beautiful...
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