आज़ादी क्या होती है,
पूछो,पिंजरे के पंछी से,
जो पिंज़रे की दीवारों से अपने
सिर को पटक-पटक,भूल चुका है उड़ना तक,
हर पल अपने मन को मसोसता वह,
अपने सय्याद को हर सांस में कोसता वह,
कैद में तो,भारी लगता है हर क्षण,
बंद पिंजरे में,जीवन एक बोझ से कम नहीं,
दूसरों को उड़ता देख,हर पल एक टीस सी उठती होगी,
हाथ उठाकर,ईश्वर से कहता होगा,
तुझे किस्मत मेरी बदलनी होगी|
3 comments:
bahut khub
shkehar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
bahut khub
shkehar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
very expressive!
little sis
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