शतरंज की बिसात जैसी है,
ये जिंदगी,
मोहरों की तरह नाच कर रहे,
हम इंसान,
चारों दिशाओं में मचा खलबली,
शान्ति और संयम भूल गया इंसान,
ऊपर बैठा,चुपचाप खेल देख रहा भगवान्,
अचरज होता उसे हरपल,और वो है
अपनी रची हुई रचनाओं को देखकर हैरान|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
1 comment:
thnx!4 redng blog.
vry wel said....
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