रिश्ते कच्चे धागों की तरह,
नाज़ुक और कमज़ोर होतें हैं,
ढीला छोड़ो तो बेमानी,ज्यादा
कस दो तो टूटन लगतें हैं,
वैसे तो,रिश्तों में बंधकर जीते हैं सभी,
विरले ही,इनका सच्चा अर्थ समझ पाते हैं कभी|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
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