ऐ दिल ले चल कहीं दूर,
जहाँ प्यार ही प्यार हो,
कोई किसी का शत्रु न हो,
जहाँ खुशियाँ बेहिसाब हो,
हौले-हौले बहकर हवा देती हो सुकून,
शांत वातावरण हो,खिले फूल बेहिसाब हों,
न करें कोई इक दूजे से गिले-शिकवे जहाँ,
जीने की उमंग और आशा लहरों की तरह अठखेलियाँ खाएं जहाँ|
No comments:
Post a Comment