काश वो मोति से लम्हे,
सहेज कर रख पाते हम सदा के लिए,
बात-बात पर तुम्हारा फूलों सा हँसना,
आँखों में तुम्हारी तारों सी झिलमिलाहट,
न जाने कैसे हो जाती थी,तुम्हे हमारे आने की आहट,
चुपके-चुपके
तुम्हारी साँसें बहुत कुछ कह जातीं थी,साँसों से हमारी,
कोई भी राज़ राज़ न रहने दिया,कभी आँखों ने हमारी|
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