ठान ले मन में गर,तो क्या नहीं कर सकता इंसान,
ज़मीन तो क्या,वो अपने हौंसलों से छू सकता है आसमान,
हर हार को अपनी,जीत में बदल सकता है वो,
हर शूल को हटाकर डगर से,चल सकता है वो,
सूझ-बूझ से अपनी,वैर को बदल सकता प्रेम में,
इस धरती की तस्वीर बदल सकता है वो|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
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