बेबसी उसकी छू गयी मन को,
बेबसी कुर्सी से न उठ पाने की,
बेबसी चल न पाने की,
बेबसी एक अपाहिज कहलाने की,
परन्तु,
उसने हार न मानी कभी जिंदगी से,
कठोर बना कर मन को अपने,
आंसूओं को रोककर आँखों में,
दुखों को बहुत पीछे छोड़ दिया उसने|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
No comments:
Post a Comment