ठंडी हवा बहती है धीरे-धीरे,
ठंडी हवा कुछ कहती है,
कानों में धीरे-धीरे,
कितना सुकून देती है मन को,
ठंडक कितनी देती है तन को,
पूछा मैंने,रहती हो कहाँ?
इठलाती हुई बोली,
तुम जहाँ जाओगी,
मुझे वहाँ पाओगी|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
No comments:
Post a Comment