फूलों की तरह ,होती है मनुष्य की काया
वो धूप से कुम्हलाने लगते हैं,
और मनुष्य संकटों और कठिनाईयों से,
इसके विपरीत,जहां
रंग-बिरंगें फूल मन को भातें है,
वहीँ कई इंसान अपने-अपने रंग दिखाकर,
दूसरों के मन को बहुत दुखातें हैं,
भगवान बुद्धि देना उन्हें,
जो दूसरों को अकारण सतातें हैं|
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