विवाह-मंडप में अधिकतर जोड़े करते हैं,
सात जन्म निभाने का संकल्प,
जीवन के धरातल पर आते ही ,
करने लगते हैं,हाय-तौबा,
दामन मजबूती से थामना पड़ता है,
जीवन रुपी पतंग का,
संयम,प्रेम और निष्ठां से ,
धीरे-धीरे पारंगत हो जाता है,
मनुष्य जीवन जीने की कला से|
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