भगवान् ,विनती करती हूँ ,
हाथ दोनों जोड़कर मैं ,
साथ कभी,मेरा न छोड़ना तुम,
हाथ दोनों जोड़कर मैं ,
साथ कभी,मेरा न छोड़ना तुम,
गलतियों का पुतला हूँ मैं,
छत्र -छाया से अपनी,कभी न दूर करना तुम,
अनगिनत भूलों को सदा क्षमा किया है ,आपने
जीवन के पथ पर,सध्बुद्धि और संयम प्रदान करना तुम|
No comments:
Post a Comment