समय की धारा तो बहती अविरल,
बन्दे ,तू व्यर्थ न गँवा क्षण अनमोल,
कर्म करता जा,सत्य की राह पर चलते हुए,
दीन-दुनिया के फ़र्ज़ निभा,प्रभु को सिमरते हुए,
जीवन का क्या भरोसा,क्या पता कब,
साँसों की लड़ियाँ ,दे जाएं धोखा |
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
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