न जाने कहाँ छूट गया वोह बचपन ,
एक पक्षी सी उन्मुक्त उड़ान ,
एक कली सी कोमल मुस्कान ,
एक फूल से हँसती पहचान,
एक नदी सा निर्मल बहाव ,
अपने संगी साथियों से लगाव,
ना जाने क्यों बीत गए वोह दिन,
क्यों आख़िर क्यूँ, छूट गया मेरा बचपन|
एक पक्षी सी उन्मुक्त उड़ान ,
एक कली सी कोमल मुस्कान ,
एक फूल से हँसती पहचान,
एक नदी सा निर्मल बहाव ,
अपने संगी साथियों से लगाव,
ना जाने क्यों बीत गए वोह दिन,
क्यों आख़िर क्यूँ, छूट गया मेरा बचपन|
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