पता ही न चला,
कब उसकी माँ का हाथ छूट गया,
पता ही न चला,
कब उसकी माँ का साथ छूट गया,
जैसे दुखों का टूट पड़ा,उसपर पहाड़,
रोके न रुक रहा था,आंसूओं का सैलाब,
ये कैसी दुःख की आंधी चली,
छूट गयी,मायके की गली,
हे प्रभु,
इस संकट की घड़ी में,सम्हालना उसे,
अपने गम से उबरने का हौंसला देना उसे|
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