रात बेचैन होकर बोली,चंदा से
तुम कभी जाना नहीं,मुझे छोड़कर
फूल विक़ल होकर बोला,राहगीर से
तुम जाना नहीं,मुझे तोड़कर,
बीता हुआ लम्हा,बोला आने वाले लम्हे से,
तुम आना नहीं अभी,
सुख ने कहा,दुःख से
तुम आना नहीं कभी,
परंतू,
इक दूजे का आँचल थामकर,
धुप और छाँव खेलने लगीं वहीँ|
1 comment:
sukh-dukh ka choli daman ka saath hai!
little sis
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