किस्मत है जुदा,हर किसी की
इक इंसान महलों में आराम कर रहा,
तो दूजा भीख मांगता,दर-दर भटक रहा,
एक फूल मंदिर में,प्रभु के चरणों में चढ़ रहा,
तो दूजा,सड़क पर किसी के पैर तले
कुचल रहा,
कोई पक्षी,खुले आसमानों में स्वछंद उड़ता
प्रभु के गुण गा रहा,
तो कोई पिंजरे में कैद हुआ,उसकी दीवारों से
सिर पटक-पटक अपनी किस्मत को कोस रहा|
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