तारों से सजा है,आसमान
पेड़-पौधों से सजी है,ये धरती
हवाएं घुंघरू बजा रहीं,
पंछी और चिड़ियाँ कर रहें,मस्ती
चाँद-सूरज छलका रहे,रौशनी भरी गागर
लहरें बल खा रहीं,इठलाकर झूम रहा है,सागर,
ओस की नन्ही बूँदें,नृत्य कर रही पत्तों पर,
वर्षा के आते ही,मतवाला मोर नाचने लगा,उठाकर अपना सर,
ये है प्रकृति का जादू.......
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