कैसा बीता उसका बचपन,
बिन माँ-बाप के प्यार के,
कैसे बीता उसका हरपल,
बिन माँ-बाप के दुलार के,
मिला न बाप का कंधा रोने को,
मिला न माँ का आँचल सोने को,
किन कर्मों की मिली इतनी कठोर सजा,
न जीवन में रहो कोई ख़ुशी,न कोई मजा,
कैसे बीतेगा उसका यौवन,बिन माँ-बापके प्यार के......
3 comments:
यह तो बहुत सुन्दर कविता है.
पाखी की दुनिया में भी आपका स्वागत है.
मिला न बाप का कंधा रोने को,
मिला न माँ का आँचल सोने को,
बहुत मार्मिक स्थिती है यतीमों की। आँखें नम हो गयी। आभार।
You are there to shower all your love on her.God gives everyone atleast one shoulder to cry upon! That's His greatness.
Little sis
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